घरे से आइल बाटे बुलावा, शिवम के जनेऊ बा
पांच दिन के छुट्टी दे दीं हुजूर, घर में इंतजार बा
ना सावन में घरे गइनी ना भादो में घरे गइनी
दो साल से होली दिवाली हम जनबे ना कइनी
आपन सिरौना गँउवा देखे खातिर, कब से जियरा बेकरार बा
पांच दिन के छुट्टी दे दीं हुजूर, घर में इंतजार बा
माँ बोलावे बबुवा अइब कहिया पापा कब से देखेलन रहिया
जायेम जब घरे त बहिन हमरा के देख के बड़ा खुश होई
बड़का बाबा देख के बड़ा पुलकित होइहन
गाँव के दोस्त सब कहेला कि हमारा के भुला देले का
पैसा कमाए के खातिर गाँव बिसरा देले का
बउवा के जनेऊ के शुभ मौका पे सब लोग से मिल आयेम
नया उत्साह, नया मंजिल पावे के चाह हम ले आयेम
करतानी रउवा से इहे हम निहोरा अर्जी हमार बा मर्जी राउर बा
अगर न देहम रउवा छुट्टी त छोड़ के जायेम हम राउर नौकरी
इहे हमार विचार बा पांच दिन के छुटी दे दी हुजुर सबका हमार इंतजार बा...
( मेरे भाई शिवम् के जनेऊ (यज्ञोपवीत उपनयन संस्कार ) के शुभ अवसर पे घर से बुलावा आया है और मुझे घर जाना है ये पंक्तिया उसी के लिए है !! )
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