बुधवार, 25 जुलाई 2012

ख्याल मेरे स्वभाव पे

मेरे कुछ नए दोस्तों का ये शिकवा रहता है कि, हम बहुत कम बोलते है| वो सोचते है शरमाता बहुत है कुन्दन या बात करने नहीं आती होगी!! लेकिन मै उन्हें ये बताना चाहता हूँ कि, शांत रहना हमेशा बेहतर होता है ज्यादा बोलने वालो से!! ईश्वर ने हमे दो कान तो दिए है पर जीभ एक ही दी हैं जो इस बात का संकेत करता है कि हम सुने अधिक और बोले कम| वैसे कम बोलना मेरी आदत है और यह आदत मैंने विकसित की है कभी एक समय था जब मै बहुत बोला करता था जिस पर मैंने सप्रयास नियंत्रण पा लिया है क्यूंकि, मैं जनता हूँ की कम बोलने के लाख लाभ होते है और मै हमेशा प्रयास करता हूँ की कम बोलू लेकिन सार्थक बोलू और निति में कहाँ भी गया है मौन रहना विद्वानों का आभूषण होता है; और कम बोलना मेरे व्यक्तित्व को शोभा भी देती है...:)

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