गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

वो बचपन के दिन

बचपन के दिन
वो सावन के झूले, वो दुर्गापूजा के मेले
कछुवा नदी में तैरना, और फिर पापा के हाथो पीटे जाना
वो दोस्तों का साथ, वो अपनों का हाथ
ना पाने की चिंता, ना खोने का गम
वो नीम का दातुन, वो गाव का जामुन
वो धूपो का तपना, और दिनभर क्रिकेट खेलना
वो स्कूल की घंटी, वो खेल का मैदान
वो नदी के किनारे आम का बागान
वो होली के हुड़दंग, वो दिवाले के पटाखे
वो कितने अच्छे दिन थे, वो कितने सच्चे दिन थे
बहुत याद आता है अपना वो बचपन
बहुत खूबसूरत था अपना वो बचपन
काश !! फिर से लौट के आ जाये अपना वो बचपन
!!
Kundan

( अपना बचपन  का दिन बहुत ही खुबसूरत रहा हैं कई प्यारे और सच्चे साथी मिले जिनमे राजन, नन्दन, मुकुल, रिंकू, हेमंत, विकाश, रंजन, सत्यम, आशीष, ऋषि एक साथ खेले, पढ़े और अभी जिन्दगी के हरेक मोड़ पे साथ-साथ हैं !! )

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