गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

वो बचपन के दिन

बचपन के दिन
वो सावन के झूले, वो दुर्गापूजा के मेले
कछुवा नदी में तैरना, और फिर पापा के हाथो पीटे जाना
वो दोस्तों का साथ, वो अपनों का हाथ
ना पाने की चिंता, ना खोने का गम
वो नीम का दातुन, वो गाव का जामुन
वो धूपो का तपना, और दिनभर क्रिकेट खेलना
वो स्कूल की घंटी, वो खेल का मैदान
वो नदी के किनारे आम का बागान
वो होली के हुड़दंग, वो दिवाले के पटाखे
वो कितने अच्छे दिन थे, वो कितने सच्चे दिन थे
बहुत याद आता है अपना वो बचपन
बहुत खूबसूरत था अपना वो बचपन
काश !! फिर से लौट के आ जाये अपना वो बचपन
!!
Kundan

( अपना बचपन  का दिन बहुत ही खुबसूरत रहा हैं कई प्यारे और सच्चे साथी मिले जिनमे राजन, नन्दन, मुकुल, रिंकू, हेमंत, विकाश, रंजन, सत्यम, आशीष, ऋषि एक साथ खेले, पढ़े और अभी जिन्दगी के हरेक मोड़ पे साथ-साथ हैं !! )

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

गुजरा हुआ जमाना अपने गाँव का


याद है मुझको गुजरा हुआ जमाना अपने गाँव का
वो बाग़ की बहारें वो चिडियों का चहचहाना

वो कच्चे आमों के दिन गाँव में
वो नर्म छाँवों के दिन गाँव में

वो पल जो अपने गाँव में, गुजारा किये हैं हम
वो पल जो अपने दोस्तों के साथ, संवारा किये हैं हम

वो पल हमारी जिन्दगी में, बेमिसाल हैं
मेरे लिए मेरा गाँव धरती पे स्वर्ग हैं ।।
Kundan

( मुझे हमेशा से ऐसा महसूस होता है की जिसने भी गाँव नहीं देखा उसने जीवन को करीब से नहीं देखा.. वो गाँव की सुकून भरी ज़िन्दगी, सादगी, भोलापन , बड़ो का सम्मान, अपनों से प्यार, प्रकृति से लगाव ये सब हम वहाँ पर ही तो देखते हैं )