रविवार, 16 सितंबर 2012

दीदी- मेरी प्यारी बहना

दीदी तू सबसे प्यारी है

मम्मी पापा की लाडली है

मुझे बचपन से हि संभाला है तुने

जीने के सलीके को सवारां है तुने

पापा की डांट-फटकार से हमेशा बचायी है तुने

मेरी हरेक गलतियों से रूबरू करायी है तुने

माँ के प्रयास एवं तुझे देखकर चलना, बोलना और पढना सिखा

तेरी अथक कोशिश और समर्पण से मै जीवन में आगे बढ़ा

बचपन का वो दिन बड़ा सुहाना था जब हम साथ रहा करते थे

आपस में कभी-कभी लड़ना-झगरना भी होता था

फिर मुझे तुम समझाती एवं मना लेती थी

मेरी ख़ुशी की खातिर अपने हिस्से की भी चीज़े मुझे दे देती हो

मेरी हर पसंद- नापसंद का ख्याल तुम रखती हो

मेरी हर तरक्की पर दौड़ मंदिर में घंटा बजाती हो

मेरे दुखो से तुम दुखी हो जाती हो

जीवन में आगे बढ़ने के लिए हरदम हौसला बढाती हो

मै जितना भी लिखूं दीदी तुम्हारे बारे में शब्द कम पड़ जायेंगे

सर्वोपरी है दीदी तू, मेरे लिए भगवान-स्वरुप है !!